मटर, जिन्हें हरे मटर या मटरा भी कहा जाता है, एक प्रमुख सब्जी है जो खाद्य में स्वादिष्टता और पोषण प्रदान करती है। इन छोटे हरे दानों का उपयोग विभिन्न व्यंजनों में होता है और इन्हें उगाना और प्रस्तुत करना आसान होता है।
हसका उपयोग भोजन, सूप, सलाद, और विभिन्न पक्षियों के भोजन में होता है, जिससे यह एक सामान्य और पौष्टिक आहार हिस्सा बनता है। इसके अलावा, इसके पौधों को उपहार में भेजने की परंपरा भी है, जो सामाजिक मिलन और आपसी संबंधों को मजबूत करती है।
मटर कौनसे महीने उगाए जाते हैं?
इसको बोने जाने का सही समय फरवरी से मार्च तक होता है, जब ठंडक होती है और मौसम उगाई के लिए उपयुक्त होता है। इस समय पौष्टिक मिट्टी और शांत मौसम पौधों के सही विकास के लिए मदद करते हैं।
मटर के प्रकार
1. हरा मटर: हरा मटर, जिसे आमतौर पर हरा पीला रंग होता है, एक प्रमुख शाकाहारी सब्जी है जो ताजगी से भरा होता है। इसका उपयोग ताजे रूप में खाद्य बनाने में, सलादों में, या फिर फ्रोजन रूप से स्थायी भंडारण के लिए किया जा सकता है। यह स्वादिष्ट और पोषण से भरपूर है।
2. काला मटर: काला मटर, जिन्हें काले रंग के बीज़ों के लिए पहचाना जाता है, एक अन्य रूप है जो विभिन्न व्यंजनों को सजाने और स्वादिष्ट बनाने के लिए उपयोग होता है। इन्हें ताजा या सूखे रूप में खाद्य बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है और विशेषकर आइसक्रीम, सूप, और आलू टिक्की जैसे व्यंजनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
3. छोले का मटर: छोले का मटर, जो चने और मटर का मिश्रण होता है, एक लोकप्रिय और पौष्टिक सब्जी है जो भारतीय व्यंजनों में प्रमुख भूमिका निभाता है। यह अक्सर ताजा और सूखे रूप में उपयोग होता है और विभिन्न मसालों के साथ बनाया जा सकता है, जिससे यह स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है।
4. मटर के साथी फसलें: ये अनेक प्रकार की होती हैं, जो एक साथ पैदा होती हैं और खाद्य में विभिन्न स्वाद प्रदान करती हैं। इनमें सेम, लोबिया, और वटानी शामिल हैं, जो विभिन्न व्यंजनों में उपयोग हो सकती हैं। ये फसलें खाद्य सुरक्षा और पोषण की दृष्टि से महत्वपूर्ण होती हैं और विभिन्न भारतीय रेसिपीज़ में उपयोग हो सकती हैं।
मटर को उगाने के 10 तरीके
इसको उगाना एक बहुत रोचक और सतत प्रक्रिया है, जिसमें कई कदम शामिल होते हैं। यहां आपको इसको उगाने के लिए एक सम्पूर्ण गाइड मिलेगा:
बीज़ का चयन: इसके बीज़ का सही चयन करना पौधों के सफल उगाने के लिए क्रियाशील और महत्वपूर्ण है। सुजी हुई, स्वस्थ, और बाजार में सुलभ बीज़ों का चयन करना चाहिए। उन्हें छूने पर वे सजीव होने चाहिए और स्वच्छता धारित करनी चाहिए। बीज़ का रंग भी महत्वपूर्ण है, हरा और सुपीला रंग सुझावित होता है। सुनिश्चित करें कि बीज़ समान आकार और रंग के हैं, जिससे विकास की समर्थन स्थिति में सामंजस्य बना रहेगा। इसके लिए स्थानीय नर्सरी या पेड़ पौधा केंद्र से सलाह लेना उचित है।
बुआई का समय: इसकी बुआई का सही समय उगाई के लिए महत्वपूर्ण है। सामान्यत: बच्ची हुई मिट्टी में फरवरी से मार्च के महीनों में मटर को बोना जा सकता है। इस समय, मौसम उच्च और ठंडक रहती है, जिससे इस के पौधे अच्छे से विकसित हो सकते हैं। बुआई के पहले भूमि को अच्छे से तैयार करना चाहिए और उर्वरक और कम्पोस्ट का सही मिश्रण करना उचित होता है। इसके अलावा, स्थान के अनुसार स्थानीय कृषि निर्देशिका का सहारा लेना बहुत महत्वपूर्ण है।
बुआई की तैयारी:इसकी बुआई की सही तैयारी विकसित पौधों के लिए महत्वपूर्ण है। सबसे पहले, स्थानीय बाजार से उच्च गुणवत्ता वाले हरे मटर के बीज़ चुनें। उपयुक्त भूमि की तैयारी के लिए कच्ची मिट्टी को उर्वरक और कोम्पोस्ट से सुधारें। बुआई के लिए वृष्टि से बचने के लिए बुआई के समय का चयन ठंडे मौसम के दौरान करें। बीजों को गहराई में सुरक्षित रूप से बोने और उन्हें आधिकारिक रूप से सिंचाई करें। इससे पौधों का सुरक्षित और स्वस्थ विकास होगा।
बुआई का तरीका: इस की बुआई को सफल बनाने के लिए एक ध्यानपूर्ण प्रक्रिया है। सही बीज़ का चयन करें, जो स्थानीय बाजार से उपलब्ध और सुस्त हों। बुआई का सही समय फरवरी से मार्च तक होता है, जब मौसम शानदार होता है। बोने जाने वाले बीज़ों को गहराई में और समान दूरी पर बोना जाता है। पौधों को उचित सिंचाई और उर्वरक प्रदान करना जरूरी है। इसके बाद, पौधों को उचित समर्थन और सुरक्षा देने के लिए ध्यान देना चाहिए।
सिंचाई और देखभाल:सिंचाई मटर की देखभाल में एक महत्वपूर्ण पारंपरिक उपाय है। सही सिंचाई उपयुक्त मात्रा में पानी प्रदान करने के साथ साथ, सुनिश्चित करती है कि पौधे सही रूप से बढ़ सकते हैं। नियमित सिंचाई से मटर के पौधों को उर्वरक सही मात्रा में प्राप्त होता है, जिससे उनका सही विकास होता है। सिंचाई को सुनिश्चित करने के लिए नियमित अंतराल पर भूमि की नमी की जाँच करना भी महत्वपूर्ण है।
रोपना और स्कूपिंग: इस को सफलतापूर्वक उगाने के लिए, पौधों को रोपना और स्कूपिंग कार्यक्रम बहुत महत्वपूर्ण है। जब पौधे बढ़ते हैं, उन्हें सहारा देने के लिए यौन रोपना की आवश्यकता होती है। इससे पौधों को सही दिशा में सहारा प्राप्त होता है और उनका सही समर्थन होता है। स्कूपिंग का उपयोग पौधों के आस-पास की भूमि को साफ़ करने के लिए किया जाता है, जिससे उन्हें प्रतिबंधित गतिविधियों से मुक्ति मिलती है और विकास में सुधार होती है। यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि पौधे स्वस्थ और विकसित रहें।
बुआई के बाद की देखभाल: बुआई के बाद इस की देखभाल एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि पौधे स्वस्थ रहते हैं और अच्छे पैदा होते हैं। इसमें सिंचाई, उर्वरक प्रदान, और कीट प्रबंधन शामिल हो सकता है। सही समय पर समर्थन और सुरक्षा प्रदान करने से फलों की अच्छी उत्पादकता होती है।
रोग और कीट प्रबंधन: इस के पौधों को सही स्वास्थ्य में बनाए रखने के लिए उचित रोग और कीट प्रबंधन अत्यंत महत्वपूर्ण है। ब्यानर या गुजरने वाले पशुओं की मल को रोकने के लिए साफ़ और सुरक्षित बागवानी क्षेत्र बनाएं। बीज़ के समय सही कीटनाशकों का उपयोग करें ताकि अनुज्ञात रोगों और कीटाणु संक्रमण को रोका जा सके। सुनिश्चित करें कि उर्वरकों का सही मात्रा में और सही समय पर प्रदान किया जा रहा है। नियमित रूप से पौधों की स्थिति की निगरानी करें और स्वस्थ पौधों की पहचान करने के लिए बीज़ों की चारपर्ती निगरानी करें।
पूर्वाधिकारिक देखभाल: इसकी पूर्वाधिकारिक देखभाल पौधों को स्वस्थ और समृद्धि में मदद करने के लिए महत्वपूर्ण है। बुआई के बाद सही सिंचाई, उर्वरक प्रदान, और कीटनाशकों का सही समय पर उपयोग करना आवश्यक है।
पौधों को सहारा देने और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए स्टेकिंग का उपयोग करें, खासकर जब वे बड़े होते हैं। समय-समय पर पौधों की देखभाल करके रोगों और कीटाणु संक्रमणों का पहचान और उपचार करें।
सही पूर्वाधिकारिक देखभाल से मटर की अच्छी उपज होती है और उच्च गुणवत्ता के बीज़ों का निर्माण होता है।
पूर्णता का समय: इसकी पूर्णता का समय पौधों के उगने से लेकर उनके ताजगी की स्थिति तक कई कारणों पर निर्भर करता है।
अगर इसके पौधे तेजी से बढ़ रहे हैं, और फूल और फलों का विकास अच्छे रूप से हो रहा है, तो यह समझा जा सकता है कि पौधों का समय पूर्ण हो गया है।
यदि इसके दाने सही आकार और रंग में हैं और पूरी तरह से पके हैं, तो इसे किसी भी समय ताजगीपूर्ण रूप से अच्छा रहेगा।
विभिन्न मौसम और वातावरण तत्वों के आधार पर पूर्णता का समय बदल सकता है, लेकिन सामान्यत: इसके दानों को पूर्णता के लिए सुनिश्चित करने में आमतौर पर 70 से 90 दिनों का समय लगता है।